‘द शेमलेस’ एक्ट्रेस : अनसूया सेनगुप्ता की अनसुनी कहानी

अनसूया सेनगुप्ता

अभिनेत्री अनसूया सेनगुप्ता का परचम आज पूरी दुनिया में लहरा रहा है। उसने खुद भी कभी सोचा नहीं होगा कि एक दिन पूरी दुनिया उसे जानने लगेगी। सामान्य ‌कद-काठी और नैन-नख्श वाली इस युवती ने फ्रांस के प्रतिष्ठित 77वें कॉन अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के ‘अनसर्टेन रिगार्ड’ खंड में हिंदी फिल्म ‘द शेमलेस’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतकर सबको चकित कर दिया है। 115 मिनट की इस हिंदी मूवी को‌ बुल्गारिया के युवा निर्देशक कांस्टेनटिन बोजानोव ने बनाया है। 

जयनारायण प्रसाद
जयनारायण प्रसाद

कोलकाता के लेक गार्डेंस की रहने वाली अनसूया सेनगुप्ता का जन्म 1 सितंबर, 1986 को हुआ। यहां के लॉ मार्टिनियर स्कूल से निकलने के बाद अनसूया ने कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी लिटरेचर लेकर ग्रेजुएशन किया। वर्ष 2009 में अनसूया सेनगुप्ता का करियर आरंभ हुआ। शुरू में अनसूया को पत्रकारिता में दिलचस्पी थीं, लेकिन फिर थिएटर की तरफ उसका रुझान हुआ। वह कुछ आगे बढ़ती, तभी निर्देशक अंजन दत्त ने उसे अपनी बांग्ला फिल्म ‘मैडली बंगाली’ में छोटा-सा किरदार दिया। फिर वह कोलकाता के नाटकों में अभिनय करने लगीं। वर्ष 2013 में अनसूया सेनगुप्ता हमेशा के लिए मुंबई जा बसीं और वहां प्रोडक्शन डिजाइनर का काम करने लगीं। अब गोवा, मुंबई और कोलकाता के बीच अनसूया सेनगुप्ता का ज्यादातर समय बीतता है।

बीच के वर्षों में अनसूया सेनगुप्ता ने कई फिल्मों में अभिनय भी किया और सेट डिजाइन का काम भी। नेटफ्लिक्स की ‘मसाबा-मसाबा’ में अनसूया सेनगुप्ता को अच्छी शोहरत मिली। फिर, सृजित मुखर्जी की फिल्म ‘बहुरुपिया’ और वर्ष 2016 में संजीव ‌शर्मा की फिल्म ‘सात उचक्के’ में उसने काम किया। ‘सात उचक्के’ में केके मेनन, अनु कपूर, अदिति शर्मा और विजय राज के साथ काम करने से अनसूया सेनगुप्ता का तजुर्बा और पुख्ता हो गया। उसके भीतर का विश्वास काफी बढ़ गया।

अनसूया सेनगुप्ता को सिनेमा और एक्टिंग की दुनिया में काम करते हुए 15 साल से ज्यादा हो गए हैं। अनसूया सेनगुप्ता बताती है-‘कॉन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सम्मान मिलना उसके लिए बड़ी बात है।’ इस अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार ने अनसूया सेनगुप्ता की जिंदगी को एक नया मोड़ और एक नया आयाम दे दिया है। वह आगे बताती है- ‘यह हिंदी फिल्म ‘द शेमलेस’ का ऑफर मुझे जून, 2020 में मिला था। इस हिंदी मूवी के निर्देशक कांस्टेनटिन बोजानोव विदेशी हैं और मूलतः बुल्गारिया के हैं।’ अनसूया बताती है- ‘फेसबुक के जरिए कांस्टेनटिन बोजानोव से मेरा परिचय हुआ।’ फिर उसने कहा, ‘एक हिंदी फिल्म बना रहा हूं ‘द शेमलेस’। तुम्हें इसमें मुख्य किरदार निभाना है। इससे पहले ऑडिशन देना होगा।’ और मैं तैयार हो गई। ऑडिशन से पहले थोड़ी डरी हुई जरूर थी लेकिन, किस्मत देखिए ऑडिशन के पहले ही चरण में चुन ली गई। फिर काम शुरू हुआ। और नतीजा आज दुनिया के सामने है।

बुल्गारियाई निर्देशक कांस्टेनटिन बोजानोव की यह हिंदी मूवी ‘द शेमलेस’ में अनसूया सेनगुप्ता ने रेणुका की मुख्य भूमिका निभाई है। इस फिल्म में अनसूया सेनगुप्ता के अलावा ओमारा शेट्टी, मीता वशिष्ठ, अरोशिखा दे और रोहित कोकाते ने अभिनय किया है। होता यह है कि रेणुका (अनसूया सेनगुप्ता) एक रोज एक पुलिसवाले की हत्या कर एक यौनकर्मी के यहां पनाह लेती है। वहीं 17 साल की एक युवती से रेणुका का प्रेम हो जाता है। फिर, दोनों अपने अस्तित्व की राह कैसे खोजते हैं, ‘द शेमलेस’ उसी की कहानी है। यह फिल्म असल में सदियों पुरानी ‘देवदासी प्रथा’ को अपने तरीके से कहती है और इसकी व्याख्या भी करती है।

कांस्टेनटिन बोजानोव ने बहुत रोचक तरीके से ‘द‌ शेमलेस’ को फिल्माया है। ‘कॉन फिल्म फेस्टिवल’ की खासियत यह है कि कॉन में इस कैटेगरी के तहत पुरस्कार जीतने वाले निर्देशक/प्रोड्यूसर को कुछ करना नहीं पड़ता। ‘फिल्म फेस्टिवल अथॉरिटी’ खुद ही इस फिल्म को डिस्ट्रीब्यूट करती है और फिल्मकार को ‘ग्रांट’‌‌ भी (अनुदान) देती है।

बुल्गारिया में पले-बढ़े कांस्टेनटिन बोजानोव ने बहुत ज्यादा फिल्में नहीं बनाई हैं। बोजानोव की पढ़ाई नेशनल स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स (सोफिया), फिर रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट्स (लंदन) से मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद उसने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में डाक्यूमेंट्री का कोर्स किया। वर्ष 2001 में कांस्टेनटिन बोजानोव ने अपनी पहली शॉर्ट फिल्म ‘लेमन’ बनाई, फिर ‘इनविजिबल’ (2005), उसके बाद ‘आवे’ (2011), फिर ‘लाइफ देअरआफ्टर’ (2017) और अब ‘द शेमलेस’ (2024) जिसका झंडा आज पूरी दुनिया में लहरा रहा है।

*(लेखक सिनेमा के अध्येता हैं। कई किताबें लिख चुके हैं। कोलकाता में निवास। संपर्क- [email protected])

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here