‘रोटी’ सुपरहिट लेकिन ‘उसकी रोटी’ नाकाम… बॉक्स ऑफिस पर ऐसा क्यों होता है?

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Roti Rajesh Khanna
राजेश खन्ना, मुमताज

डॉ. इंद्रजीत सिंह

भारत में सामान्यत: साहित्यिक और कलात्मक फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का मुंह नहीं पाती। नारायण सान्याल के उपन्यास पर आधारित फिल्म ‘सत्यकाम’, कथा सम्राट प्रेमचंद की कहानी पर आधारित सत्यजित राय द्वारा निर्देशित ‘शतरंज के खिलाड़ी’, आंचलिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध फणीश्वर नाथ रेणु की कालजई प्रेम कहानी ‘तीसरी कसम अर्थात् मारे गए गुलफाम’ पर आधारित ‘तीसरी कसम’, ग्रामीण जीवन का महाकाव्य के रूप में विश्व प्रसिद्ध प्रेमचंद के उपन्यास ‘गोदान’ पर आधारित फिल्म ‘गोदान’, धर्मवीर भारती के मशहूर उपन्यास ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ पर आधारित फिल्म ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ आदि अनेक फिल्में हैं जिनके निर्माताओं को अक्सर घाटे का सामना करना पड़ता हैl हां, कुछ फिल्में अपवाद हैं जैसे मनु भंडारी की कहानी ‘यही सच है’ पर आधारित ‘रजनीगंधा’ फिल्म ने सिल्वर जुबली मनाईl फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीताl कमलेश्वर के दो उपन्यासों ‘काली आंधी’ और ‘आगामी अतीत’ पर आधारित फिल्में ‘आंधी’ और ‘मौसम’ कामयाब रहीं। इन फिल्मों ने सिल्वर जुबली भले ही न मनाई हो लेकिन दोनों फिल्में अपनी लागत निकालने में सफल रहीं और निर्माता को थोड़ा मुनाफा भी हुआ।

‘सत्यकाम’ फिल्म प्रसिद्ध उपन्यास पर आधारित थी। धर्मेन्द्र, संजीव कुमार और वहीदा रहमान के अप्रतिम और अविस्मरणीय अभिनय, राजेन्द्र सिंह बेदी के यादगार संवादों और ऋषिकेश मुखर्जी के लाजवाब निर्देशन के बावजूद फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर पहले हफ्ते में ही दम तोड़ दियाl धर्मेन्द्र और ऋषिकेश मुखर्जी दोनों अपने जीवन की श्रेष्ठ फिल्म मानते हैंl हां, फिल्म को हिंदी/क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी में राष्ट्रीय पुरस्कारों में सिल्वर मेडल हासिल करने में कामयाब रहीl

रेणु की अमर प्रेम कहानी पर आधारित फिल्म ‘तीसरी कसम’ 15 सितंबर को दिल्ली में रिलीज़ हुई और चार दिन बाद ही दर्शकों द्वारा पसंद न किए जाने पर फिल्म थियेटर से हटा ली गई। शैलेन्द्र ने अपने जीवन की सारी कमाई फिल्म में निवेश कर दी। लाखों का कर्ज लेकर पांच साल में फिल्म पूरी की। कोई भी वितरक फिल्म प्रदर्शन के लिए आगे नहीं आया। राजकपूर और मुकेश के प्रयासों से फिल्म रिलीज हुई लेकिन फिल्म जबरदस्त घाटे का सौदा साबित हुई। शैलेन्द्र को फिल्म की असफलता से गहरा सदमा लगा। वितरकों के दबाव के आगे शैलेन्द्र नहीं झुके, कहानी की आत्मा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर एक अविस्मरणीय फिल्म बनाई, जो आम दर्शकों को रास नहीं आई। 

uski Roti
‘उसकी रोटी’ का एक दृश्य

शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी के अर्थपूर्ण सदाबहार गीत, शंकर जयकिशन का मधुर संगीत, राज कपूर और वहीदा रहमान का हिरामन और हीराबाई के रूप में अविस्मरणीय अभिनय, रेणु की मार्मिक कहानी और संवाद तथा सुब्रत मित्र के नयनाभिराम छायांकन के बावजूद फिल्म कामयाब नहीं हुई। फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार स्वर्ण कमल हासिल हुआ लेकिन आम दर्शकों को लुभाने में फिल्म असफल रही। इसी तरह प्रेमचंद की मशहूर कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ पर आधारित ‘शतरंज के खिलाड़ी’ फिल्म बनाई। लेकिन भारत में फिल्म कामयाब नहीं हुई।

सत्यजित राय की प्रतिष्ठा के कारण लंदन में फिल्म कामयाब रही लेकिन भारत में एक दो शहरों को छोड़कर फिल्म पूरे भारत में नहीं चली। गुलज़ार साहब इस फिल्म से जुड़ना चाहते थे लेकिन सत्यजित राय ने फिल्म पटकथा और संवाद के लिए शामा ज़ैदी और जावेद सिद्दीक़ी साहब को चुन लिया था। भारत के प्रसिद्ध सितारे- संजीव कुमार, शबाना आजमी और अमजद खान और सत्यजित राय जैसे दुनिया के महानतम फिल्म निर्देशक भी फिल्म को आर्थिक रूप से डूबने से बचा नहीं सके।

भगवती चरण वर्मा के प्रसिद्ध उपन्यास ‘चित्रलेखा’ पर आधारित ‘चित्रलेखा’ फिल्म घाटे का सौदा साबित हुई। फिल्म के गीत संगीत को आज भी याद किया जाता है। साहिर लुधियानवी के लिखे इस फिल्म के दो गीत ‘संसार से भागे फिरते हो’ तथा ‘मन रे तू काहे न धीर धरे’ आज भी बेहतरीन गीतों में शुमार किए जाते हैं।                 

भारत का आम दर्शक ‘तीसरी मंज़िल’ को गले से लगाता है, लेकिन ‘तीसरी कसम’ को देखने से कतराता है। ‘मेरा नाम जोकर’ जैसी बेहतरीन कलात्मक फिल्म को नकार कर ‘जॉनी मेरा नाम’ जैसी फिल्म को बार बार देखकर गोल्डन जुबली और डायमंड जुबली तक पहुंचाता है।

मोहन राकेश जैसे लोकप्रिय कहानीकार की बेहतरीन कहानी ‘उसकी रोटी’ एक सप्ताह भी नहीं चलती जबकि मनमोहन देसाई की ‘रोटी’ भारत के अधिकांश शहरों में जुबली मनाती है। • (लेखक प्रसिद्ध फिल्म इतिहासकार तथा गीतकार शैलेन्द्र के जीवनीकार हैं। फिलहाल वडोदरा में निवास। संपर्क- [email protected])

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